Sadhana Shahi

Add To collaction

बाबुल (कविता )प्रतियोगिता हेतु11-Apr-2024

दिनांक- 11.04. 2024 दिवस- गुरुवार प्रदत्त विषय- बाबुल (कविता) प्रतियोगिता हेतु

बाबुल के अंँगना में जाई बिटिया , फिर क्यों हुई आज पराई है बिटिया।

मैया ने नौ माह कोख में धरा था बाबुल ने झोली खुशियों से भरा था भैया के रहते मन ना डरा था फिर क्यों आज थरथराई है बिटिया बाबुल के अंँगना में जाई बिटिया फिर क्यों हुई आज पराई है बिटिया।

बाबुल का घर क्यों दो दिन का होता मैया का आंँचल क्यों हमसे है खोता भैया की बगिया से जाना क्यों होता सबने भुलाया पराई है बिटिया बाबुल के अंँगना में जाई बिटिया , फिर क्यों हुई आज पराई है बिटिया।

सोने का गहना ना बाबुल से मांँगे बाबुल से पहले सदा ही वो जागे आते ही पानी वो दौड़ी ले भागे बाबुल के घर खुशी लाई है बिटिया बाबुल के अंँगना में जाई बिटिया , फिर क्यों हुई आज पराई है बिटिया।

बाबुल के घर ना बिटिया का ठिकाना एक दिन इसको है छोड़कर जाना बाबुल को अपनी धड़कन है भुलाना बेगानी बनके फिर आई है बिटिया बाबुल के अंँगना में जाई बिटिया , फिर क्यों हुई आज पराई है बिटिया।

बाबुल के घर में जन्मी दुलारी दूजे की फिर क्यों अमानत है प्यारी बचपन की यादों को बिखरा के घर में सबको क्यों इतना रुलाई है बिटिया बाबुल के अंँगना में जाई बिटिया , फिर क्यों हुई आज पराई है बिटिया।

साधना शाही, वाराणसी

   4
3 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 11:48 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

Reply

kashish

12-Apr-2024 02:50 PM

V nice

Reply

Varsha_Upadhyay

12-Apr-2024 09:39 AM

Nice

Reply